नईनई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़:एक दुखद घटना और भविष्य के लिए सबक
 दिल्ली: 15 फरवरी, 2025 की शाम नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई एक विनाशकारी भगदड़ ने 18 लोगों की जान ले ली और 15 अन्य को घायल कर दिया, जिससे भारतीय रेलवे की सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन प्रोटोकॉल पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। यह दुखद घटना प्लेटफॉर्म 14 और 15 को जोड़ने वाले फुट ओवरब्रिज (एफओबी) की सीढ़ियों पर घटी, जो उस समय बिहार जाने वाली ट्रेनों के यात्रियों से खचाखच भरा हुआ था।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में एक उच्च-स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि भगदड़ का मुख्य कारण एक यात्री के सिर से भारी सामान का गिरना था। उस दिन शाम के व्यस्त समय में, और प्रयागराज में महाकुंभ के कारण यात्रियों की भारी भीड़ थी, जिससे स्थिति और भी बिगड़ गई। कई यात्री भारी सामान लेकर चल रहे थे, जिससे संकरे फुट ओवरब्रिज पर आवाजाही में बाधा आ रही थी।रात लगभग 8:48 बजे, जब एक यात्री का सामान गिरा, तो इससे एक भयावह श्रृंखला प्रतिक्रिया शुरू हो गई, जिससे लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे और भयानक भगदड़ मच गई।
इस घटना ने 2017 में मुंबई के एलफिंस्टन रोड (अब प्रभादेवी) स्टेशन पर हुई भगदड़ की दर्दनाक यादें ताजा कर दीं, जिसमें 23 लोग मारे गए थे। रेलवे विशेषज्ञों और जनता ने इस घटना को "पूरी तरह से टाला जा सकने वाला" और "स्पष्ट कुप्रबंधन" का मामला बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है
सरकार की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजनाएं
इस दुखद घटना के जवाब में, रेल मंत्रालय ने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 2.5-2.5 लाख रुपये और मामूली रूप से घायलों को 1-1 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।कुल मिलाकर 33 पीड़ितों और उनके परिवारों को 2 करोड़ रुपये से अधिक की मुआवजा राशि का भुगतान किया गया है।
भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए, भारतीय रेलवे ने देश भर के 73 प्रमुख स्टेशनों पर भीड़ प्रबंधन के लिए एक व्यापक योजना तैयार की है। इस योजना के तहत इन स्टेशनों के बाहर स्थायी "होल्डिंग एरिया" बनाए जाएंगे, जहाँ यात्रियों को ट्रेनों के आने तक रोका जाएगा ताकि प्लेटफॉर्म पर भीड़ कम हो सके। नई दिल्ली, आनंद विहार, वाराणसी और अयोध्या सहित कई स्टेशनों पर पायलट प्रोजेक्ट पहले से ही चल रहे हैं। इन स्टेशनों पर पूर्ण पहुँच नियंत्रण (access control) लागू करने की भी योजना है, ताकि प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की संख्या को नियंत्रित किया जा सके।
यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि भारत के व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों पर भीड़ का प्रबंधन कितनी महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण है। हालांकि सरकार द्वारा घोषित उपाय सही दिशा में एक कदम हैं, लेकिन इन योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन ही यह सुनिश्चित करेगा कि यात्री सुरक्षित रूप से यात्रा कर सकें और ऐसी दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
सूचना: यह लेख हाल की समाचार रिपोर्टों पर आधारित है। मैं एक AI सहायक हूँ और नई छवियां बनाने में असमर्थ हूँ।
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